उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में मंगल दोष निवारण भात पूजा भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मांगलिक दोष निवारण का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। यह पूजा मनुष्य के जीवन में मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने या कम करने और शुभ फल प्राप्त करने के लिए की जाती है। लेकिन पूजा के बाद कुछ खास नियमों का पालन करना आवश्यक होता है ताकि पूजा का प्रभाव सतत बना रहे। यहां मंगल दोष निवारण पूजा के बाद के “करने योग्य” और “न करने योग्य” कार्यों की विस्तार से वर्णन किया गया है।
उज्जैन में मंगल दोष निवारण पूजा के बाद क्या करें?
यथासंभव सात्विक जीवनशैली अपनाएं:
उज्जैन में मंगल दोष निवारण पूजा के बाद यथा संभव सात्विक आहार और विचारों का पालन करें। मांसाहार, शराब, और तामसिक भोजन से यथासंभव बचें। इस पूजन के सकारात्मक प्रभाव को बनाए रखने के लिए सात्विक आहार से शरीर और मन को शुद्ध बनाये रखें।
मंगल देव के मंत्र जाप करते रहे:
मंगल दोष निवारण से जुड़ा हुआ ये मंत्र “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” या भगवान शिवजी जी का “ॐ नमः शिवाये” या कोई और विशेष मंत्र जो पुजारी ने सुझाया हो, नियमित रूप से जाप करें। इससे आपकी ऊर्जा सतत शुद्ध होती रहेगी और पूजा के प्रभाव को बनाए रखेगी ।
यथा शक्ति दान करें:
मंगल दोष पूजा के बाद नियमित रूप से जरूरतमंदों को दान करना शुरू करें यह शुभ माना जाता है। आप लाल कपड़े, मूंगा (कोरल), अनाज (गुड़ और गेहूं), और तांबे के बर्तन इत्यादि का दान कर सकते हैं। यह मंगल ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाता है और नकारत्मक प्रभाव को कम करता है ।
दैनिक जीवन में आचरण में सुधार करें:
वैसे तो मंगल दोष निवारण के बाद स्वभाव में उग्रता कम हो ही जाती है, फिर भी पूजा के बाद यथासंभव शांत, विनम्र, और दयालुता का आचरण करें। कई बार पूजा के बाद हमे लगता है अब हम दोष मुक्त हो गए और निश्चिंत हो जाते है और गुस्से में या अहंकार भरकर कुछ बोल देते है तो इससे दूर रहें क्योंकि यह मंगल ग्रह की नकारत्मकता को फिर से बढ़ा सकता है।
नियमित मंदिर में भगवान का दर्शन जरूर करें:
वैसे तो कण कण में भगवान है जैसे हमारे चारो तरफ वायु है, फिर भी गर्मी से बचने के लिए पंखा जरुरी है, ऐसे ही भगवान का श्री विग्रह हमे स्पस्ट अनुभूति करवाता है भगवान के होने का, इसलिए पूजा के बाद नियमित रूप से मंगल ग्रह से जुड़े मंदिर जैसे कि हनुमान मंदिर, या भगवान शिवजी के मंदिर, में भगवान का दर्शन करें और भगवान हनुमान या भगवान शिव जी की पूजा करें।
आध्यात्मिक किताबें पढ़ना अपने जीवन का उदेस्य बनाये :
उज्जैन में मंगल नाथ मंदिर में पूजा के बाद भगवद गीता, रामायण, या अन्य धार्मिक ग्रंथों का नियमित अध्ययन करें। यह अध्ययन आपकी मानसिक शांति बनाए रखेगा और मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कमभी करेगा।
जीवन में लाल रंग का महत्व समझे:
मंगल दोष पूजा उज्जैन में करवाने के बाद अपने जीवन में लाल रंग का समावेश प्रारम्भ करें। जैसे लाल कपड़े पहनें और लाल फूलों से भगवान की पूजा करें क्योंकि यह मंगल ग्रह का ही रंग है।
मंगल दोष निवारण पूजा के बाद क्या न करें?
यथा संभव नकारात्मक सोच से बचें:
उज्जैन में पूजा करवाने के बाद आप ऐसा मत सोचे की सब बदल गया है, वल्कि पूजा आपको सब बदलने का आत्मिक बल देती है. इसलिए अब आपके अंदर वो शक्ति है की आप स्वयं अपने मन और बुद्धि की गतिविधिओ का विचरण देख सकते है और काफी हद तक नियंत्री भी बन सकते है, आप अब अपने विचारों में नकारात्मकता को जगह न दें क्युकी यह पूजा के प्रभाव को कमजोर कर सकता है।
दैनिक जीवन में अपवित्रता से बचें:
उज्जैन में मंगल भात पूजा के बाद स्वयं को पवित्रता बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए कोशिश कीजियेगा की गंदे कपड़े न पहनना पड़े, अपवित्र स्थानों पर जाना बंद कीजियेगा, या किसी अन्य प्रकार का गलत कार्य करना वास्तव में पूजा के प्रभाव को कम करता है।
व्यर्थ के लड़ाई-झगड़े से बचें:
आप मंगल नाथ की पूजा करवा चुके है और मंगल ग्रह का प्रभाव गुस्सा को बढ़ावा देता है और वास्तव में नकारत्मकता जाते जाते भी एक दो बार आपकी आक्रामकता बढ़ा सकती है अगर आप सतर्क नहीं रहे तो इसलिए स्वयं को नियन्त्रिक करे जिससे पूजा के बाद विवाद, बहस, या हिंसक गतिविधियों से बचें रहे ।
आलस्य एवं प्रमाद न करें:
वैसे तो मंगल ग्रह का सकारत्मक प्रभाव आपको एक्टिव रखेगा ही, लेकिन कई बार आलस्य आपके ऊपर अपना अधिपत्य जमा लेगा, इसलिए पूजा के बाद सतर्क रहे और आलस्य, लापरवाही, प्रमाद से बचे क्युकी ये सब आपके जीवन में समस्याओं को बढ़ा सकती है। सक्रिय बने रहें जिससे आप अपने कार्यों को समय पर पूरा कर सके और पूजा पाठ, स्वाध्याय एवं अन्य सद कार्यो के लिए समय निकाल सके ।
काल कर्म के अनुसार अशुभ समय में कार्य न करें:
ज्योतिष शास्त्र में चौघड़िया का अपना विशेष महत्त्व है, इसलिए किसी भी नए कार्य को शुरू करने से पहले दिन और रात का चौघड़िया देख कर उसमे शुभ मुहूर्त का चयन करें या जरुरी हो तो किसी विद्वान ज्योतिष से सलाह जरूर लें। मंगल दोष के नकारत्मक प्रभाव से बचने के लिए गलत समय यानि मुहूर्त पर बड़े निर्णय लेने से बचें।
भूलकर भी किसी के प्रभाव में आकर मांसाहार और शराब का सेवन न करें:
मांसहार एवं मदिरा सेवन वास्तव में तमोगुणी एवं रजो गुनी भोजन है, मंगल नाथ मंदिर में पूजा पूर्णतः सात्विक प्रवृति की है इसलिए मंगल भात पूजा के बाद यथा संभव मांसाहार एवं शराब अर्थात मदिरा का सेवन पूरी तरह से त्याग दें। यह पूजा के सकारत्मक एवं आध्यात्मिक प्रभाव को या तो समाप्त कर सकता है या फिर कुछ कम तो व्यर्थ में परेशानी को बुलावा मत दीजियेगा ।
दैनिक जीवम लाल वस्त्र का अपमान न करें:
मंगल नाथ भगवान का प्रिय रंग लाल है, आप मंगल ग्रह के बारे में सुने भी होंगे की ये लाल गृह है तो इसीलिए पूजा में इस्तेमाल किए गए लाल कपड़े और अन्य सामग्री को सम्मान दें और उन्हें गंदे स्थान पर न फेंके और उनको अपवित्र होने से बचाये।
मंगल दोष की अनदेखी न करें:
पूजा के बाद यह मत समझें कि समस्या पूरी तरह समाप्त हो गई है। मंगल ग्रह की ऊर्जा को संतुलित बनाए रखने के लिए अन्य ज्योतिषीय उपाय भी जारी रखें।
अपमानजनक भाषा का प्रयोग न करें:
मंगल दोष का संबंध गुस्से और आक्रामकता से होता है। पूजा के बाद अपनी भाषा में विनम्रता बनाए रखें और किसी का अपमान न करें।
राहु और केतु से जुड़े उपाय नजरअंदाज न करें:
कई बार मंगल दोष के साथ राहु और केतु के अशुभ प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए केवल मंगल दोष पर ध्यान न दें, बल्कि पूरी कुंडली का विश्लेषण करवाएं।
पूजा के प्रभाव को लंबे समय तक बनाए रखने के टिप्स
ध्यान और योग करें:
ध्यान और योग से आपकी मानसिक स्थिति शांत रहती है, जो मंगल ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने में मदद करता है।
शुभ मंगल यंत्र स्थापित करें:
घर में मंगल यंत्र स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें।
लाल मूंगा धारण करें:
किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श लेकर लाल मूंगा धारण करें। यह मंगल ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
सामाजिक सेवा करें:
जरूरतमंदों की मदद करने से मंगल दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
अंत में चलते चलते :
मंगल दोष निवारण पूजा उज्जैन में करवाने के बाद उपरोक्त नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि मांगलिक पूजा का सकारात्मक प्रभाव बना रहे। इस पूजा का उद्देश्य जीवन से अशुभ प्रभावों को कम करना और सुख-शांति प्राप्त करना है। पूजा के बाद इन “करने योग्य” और “न करने योग्य” कार्यों का पालन करने से आप अपने जीवन में मंगल ग्रह की शुभता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है
उज्जैन गुरु जी से क्यों संपर्क करें
महाकाल की नगरी उज्जैन, जो कि प्राचीन ज्योतिषीय और धार्मिक मान्यताओं का एक प्रसिद्द केंद्र है, यह नगरी वास्तव में कालसर्प दोष और मंगल दोष निवारण पूजा के लिए भी सर्वाधिक प्रसिद्ध है। काल सर्प दोष पूजा उज्जैन (Kaal Sarp Dosh Puja Ujjain) का मुख्य उद्देश्य कुंडली में राहु और केतु के कारण उत्पन्न समस्याओं को शांत करना है। यह पूजा महाकालेश्वर मंदिर और अन्य पवित्र स्थलों पर विधिवत रूप से गुरु जी द्वारा की जाती है, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति आती है।
ऐसे ही मंगल दोष निवारण पूजा उज्जैन (Mangal Dosh Puja Ujjain) विवाह संबंधी बाधाओं और वैवाहिक जीवन में समस्याओं को हल करने के लिए की जाती है। इसे “मंगल भात पूजा उज्जैन ” (Mangal Bhat Puja Ujjain) के रूप में भी जाना जाता है, जो विशेष रूप से कुंडली में मंगल ग्रह की अशुभता को समाप्त करने के लिए गुरु जी द्वारा उज्जैन में की जाती है।
उज्जैन में कालसर्प दोष निवारण (Kaal Sarp Dosh Nivaran Puja Ujjain) और मंगल दोष पूजा उज्जैन में करने से न केवल कुंडली के दोष दूर होते हैं बल्कि धार्मिक महत्व और सकारात्मक वातावरण के कारण मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। हमारे गुरु जी उज्जैन के अनुभवी पंडितों और ज्योतिषाचार्यों में से एक है इनके के मार्गदर्शन में यह पूजा करवाना बेहद प्रभावशाली और लाभकारी माना गया है।