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मंगल दोष किस कुंडली में है ये कोई नहीं जानता है, जब तक की वो अपनी कुंडली किसी विद्वान ब्रह्मण को न दिखाए या फिर दैनिक जीवन की होने वाली समस्या पर स्वयं विचार करके किसी अनुभवी व्यक्ति से न मिले। आम तौर पर जो व्यक्ति मंगलवार जो जन्मता है उसे मांगलिक या मंगल दोष से युक्त माना जाता है और ऐसी भी मान्यता है की २८ वर्ष की आयु के बाद मंगल दोष स्वतः समाप्त हो जाता है।
Mangal Dosh Puja Ujjain
वास्तव में जब मनुस्य जन्म लेता है उस समय ब्राह्मण में ग्रहो की अनवरत गति के कारण कोई स्थिति बनती है, जिसमे कभी मंगल बुध से निकट होगा कभी सूर्य के दायी तरह होगा, कभी राहु और केतु अगल बगल होंगे, तो इस प्रकार अनवरत ग्रह गति के कारण एक संयोग ऐसा बनता है जब कुंडली के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव या द्वादश भाव में मंगल स्थित होता है और इसी स्थिति को विद्वानों ने मंगल दोष बताया है और उनका मत है की २८ वर्ष के बाद मंगल दोष स्वतः समाप्त नहीं होता है, अपितु तब तक विवाह हो जाने से जीवन साथी के ग्रहो का प्रभाव उससे होने वाले अनिष्ट को कुछ कम कर देता है।
मंगल दोष का असर पड़ता है ?
प्रथम प्रभाव जो मंगल दोष का बहुचर्चित है वो है विवाह में विलम्ब होना, दूसरा है अगर किसी विशिस्ट कारण से विवाह हो जाता है तो पति एवं पत्नी में अनबन होना, ग्रह कलेश बना रहना इत्यादि है जो की मनुष्य जीवन की समस्त सुख शांति नष्ट कर देते है।
Why Mangal Dosh Bhat Puja is done in Ujjain only?
The importance of Ujjain is more than a mole among all the pilgrimage sites located on the land of India, because it is the city of Mahakal and the festival of Kumbh also falls, the most important thing is this city was considered to be the center of the earth and at the same place Lord Mangalnath The temple of Mangal Bhat is located where Mangal Bhaat Puja is done for the prevention of Mangal Dosha, Ujjain is the only place where Bhaat Puja for Mangal Dosh removal is done in Mangalnath Temple, every year lakhs of people come here to worship in Ujjain. The effect of the dosha is reduced or reduced to zero.
सालभर आते हैं सैकड़ो श्रद्धालु
महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित मंगलनाथ का मंदिर बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में मांगलिक दोष निवारण के लिये कुंडली में तेज मंगल के लिये या फिर मंगल की कुंडली में खराब स्थिति के लिये पूजा-पाठ करवाई जाती है। इस मंदिर में ना केवल देश बल्कि विदेशों से भी लोग दर्शन व पूजा के लिये आते हैं। यहां सालभर करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा धार्मिक मान्यताओं की मानें तो उज्जैन नगरी को मंगल की नगरी कहा जाता है। इसलिए भी यहां पीड़ित लोग मंगल दोष निवारण के लिये आते हैं।
मंगल दोष के कारण उठानी पड़ती है ये समस्याएं
मंगल दोष के कारण व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती है। विवाह में देरी और तेज गुस्से जैसी परेशानियां होती है। मंगल दोष मंगल ग्रह की खराब स्थिति के कारण उत्पन्न होता है। अगर किसी की कुंडली में लग्न भाव, चौथे भाव, सातवें भाव, आठवें भाव या फिर बारह्वें भाव में मंगल होतो मंगल दोष उत्पन्न होता है। जातक को कड़ी परेशानियों को झेलना पड़ता है।
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